क्या कर्ण, अर्जुन से श्रेष्ठ धनुर्धारी थे ?

बिलकुल नहीं। जो लोग कर्ण को श्रेष्ठ मानते हैं उन लोगो ने महाभारत नहीं पढी बस टीवी देखा है या दिनकर, देवदत्त कि कृतियों को महाभारत मान बैठे है। महाभारत व्यास जी ने हज़ारों सालों पहले रची थी न कि बीसवीं शताब्दी के लेखकों ने।
पहली बात कर्ण अर्जुन से किसी युद्ध में नहीं जीता चाहे कृष्ण हो या नहो। अर्जुन वेसे भी कृष्ण का ही एक रुप थे। नर नारायण ही थे।
कर्ण के पक्ष में तर्क दिया जा रहा कि जात पात की वजह से पीछे रह गया। असत्य है।महाभारत के अनुसार कर्ण के गुरु द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और परशुराम थे। आदि पर्व, शान्ति और वान पर्व में उसका वरणन है। द्रोणाचार्य ने कर्ण को सारी शिक्षा दी पर ब्रह्मासत्र देने से मना कर दिया तो कर्ण परशुराम के पास चला गया।कर्ण को बचपन में अधिरथ ने गोद ले लिया था और फिर उसे बड़े स्नेह से पाला । अधिरथ कोई साधारण सारथी नहीं था जैसा कि सामान्यतः माना जाता है। वो धृतराष्ट्र का मित्र और अङ्ग राज्य के राजसी कुल से था जो पाण्डु और जरासंध के कारण पलायन करके आया था। उसने कर्ण के बड़े होने पर उसे द्रोण के पास भेजा। टीवी पे भले ही द्रोण ने उसे शिक्षा न दी हो पर महाभारत के वन आदि और शांति तीनो पर्वो में इसका स्पष्ट वर्णन है।