सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा सांसद अकबर लोन से हलफनामे पर शपथ लेने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चुनौती में याचिकाकर्ता लोकसभा सांसद अकबर लोन से भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ लेने को कहा, इसके अलावा उनसे यह बताने के लिए कहा गया कि जम्मू-कश्मीर भारत संघ का अभिन्न अंग है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चुनौती पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश पारित किया।
कोर्ट ने कहा कि अकबर लोन से एक हलफनामा पेश करें कि वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं और जम्मू-कश्मीर सभी भारतीयों की तरह भारत संघ का अभिन्न अंग है। कोर्ट ने यह निर्देश तब दिया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अकबर लोन ने पहले एक सभा में पाकिस्तान जिंदाबाद कहा था।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भी एसजी की भावनाओं को दोहराया। एजी ने कहा, अकबर लोन चाहते हैं कि उनके मौलिक अधिकार लागू हों और फिर विपरीत दृष्टिकोण अपनाते हैं।
सीजेआई ने कहा कि अगर अकबर लोन ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल किया है, तो उन्हें देश की संप्रभुता में विश्वास करना होगा और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
सीजेआई ने कहा कि क्या हम मानते हैं कि अकबर लोन राष्ट्र की पूर्ण संप्रभुता में विश्वास करते हैं और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ?
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि अकबर लोन लोकसभा में सांसद हैं और उन्होंने सुझाव दिया कि वह स्पष्ट रूप से मानते हैं कि जम्मू और कश्मीर भारत का हिस्सा है।
सिब्बल ने कहा कि इस पक्ष में किसी ने भी भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दी है। वह लोकसभा के सदस्य हैं, बेशक वह मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है। हालांकि सीजेआई ने जोर देकर कहा कि अकबर लोन हलफनामे पर संविधान के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ लें।