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स्वामी जी का स्मरणोत्सव भव्य एवं दिव्य ढंग से आयोजित किया जायेगा – जयवीर सिंह

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की 200वीं जयन्ती को स्मरणोत्सव के रूप में मनाये जाने के लिए राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति का गठन किया जाना है। इस संबंध अग्रेतर कार्यवाही किये जाने हेतु निदेशक संस्कृति, संस्कृति निदेशालय उ0प्र0 की ओर से शासन को पत्र भेजा गया है।

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की 17 अगस्त, 2023 को जारी अधिसूचना के तहत महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती का स्मरणोत्सव के रूप में भव्य रूप से आयोजित किये जाने के लिए मा0 प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किये जाने का प्रस्ताव है। भारत सरकार की भांति स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती मनाये जाने के लिए राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति के गठन हेतु शासन स्तर पर कार्यवाही की जानी है।

कार्यकारी समिति का गठन सीएम योगी की अध्यक्षता में किये जाने का प्रस्ताव है। इसमें दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तथा संसदीय एवं वित्त मंत्री, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, बेसिक शिक्षा मंत्री, माध्यमिक शिक्षा मंत्री, राज्यमंत्री खेल एवं युवा कल्याण, विधान परिषद व विधानसभा के नेता समाजवादी पार्टी, नेता विधानसभा अपना दल, नेता विधानसभा बीएसपी तथा नेता विधानसभा सुहेलदेव पार्टी को पदेन सदस्य के रूप में शामिल किये जाने का प्रस्ताव है।

मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इसके अलावा अपर मुख्य सचिव राज्यपाल, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री, अपर मुख्य सचिव वित्त, सचिवालय प्रशासन, भाषा विभाग, उच्च शिक्षा, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, वित्त विभाग के अलावा प्रमुख सचिव गृह, सूचना, संस्कृति व सचिव खेल व युवा कल्याण आदि अन्य सदस्य होंगे। इस कार्यकारी समिति में प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन को सदस्य सचिव बनाये जाने का प्रस्ताव है। राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति स्मरणोत्सव के लिए आयोजित किये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की रूप रेखा तैयार करने के लिए निर्देश प्रदान करेगी।

समिति की सिफारिशों पर सरकार द्वारा कार्यान्वयन हेतु विचार किया जायेगा एवं समारोह की विस्तृत रूपरेखा के संबंध में निर्णय लिया जायेगा। समिति की अवधि तत्काल प्रभाव से प्रारम्भ होगी तथा अग्रिम आदेशों तक जारी रहेगी। समिति के पास सदस्यों को सहयोजित करने की शक्ति होगी।

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