नहीं रुक रहा चीतों की मौत का सिलसिला, कहीं खतरे में तो नहीं टाइगर प्रोजेट ?
नामीबिया तथा दक्षिण अफ्रीका से लाये गए चीतों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है, अभी हाल ही में दो शावकों की मौत हो गई है ऐसे में सवाल उठने लगा है, कि कही सरकार के द्वारा चलाई जा रही चीता परियोजना खतरे में तो नहीं है।
अफ्रीका से लाये गए थे 20 चीते
भारत में चीतों का पुनः आगमन सितम्बर 2022 में हुआ जब केंद्र सरकार के प्रयासों से अफ़्रीकी देश नामीबिया से आठ चीते लाये गए जिन्हे मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय पार्क में रखा गया इसेक बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाये गए इन्हे भी कूनो में ही रखा गया।
अब तक 6 चीतों की हो चुकी है मौत इनमे 3 शावक भी शामिल
अफ्रीका से आये चीतों में से एक चीते की मौत इसी वर्ष मार्च में किडनी इंफेक्शन के कारण हो गई थी, एक नर चीता उदय की मौत 23 अप्रैल को हो गई थी वहीं नौ मई को एक मादा चीते की मौत घायल हो जाने के कारण हो गई थी, 27 मार्च को कूनो में मादा चीते ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था इन शावकों में से एक की मौत 23 मई तथा दो की मौत 25 मई को हो गई थी।
क्या है चीतों की मौत का कारण
एक देश से दूसरे देश आने पर चीतों पर मौसम व जगह का प्रभाव पड़ता है, इसके अतिरिक्त एक जगह से दूसरी जगह जाने से इनमे तनाव उत्पन्न हो जाता है जिसका असर इन पर पड़ता है जिससे ये शिकार नहीं करते तथा मृत्य को प्राप्त होते हैं।
क्या खतरे में तो नहीं टाइगर प्रोजेट
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका से आये चीतों में से यदि पचास प्रतिशत अर्थात दस चीते भी जीवित रह जाते हैं यो यह प्रोजेक्ट सफल माना जायेगा, एक रिपोर्ट से पता चला कि सिर्फ पांच प्रतिशत ही चीतों के बच्चे बड़े होने तक जीवित रहते हैं।