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इस अद्वितीय ‘घोड़ा पुस्तकालय’ नैनीताल में दिलों और दिमागों को जीत रहा है!

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नैनीताल का अद्वितीय ‘घोड़ा पुस्तकालय’ जो आपके दिल को छू लेगा

नाम से ही पता चलता है कि यहां एक घोड़ा है जो अपनी पीठ पर किताबों का एक बंडल लेकर गांव-गांव घूमता है, वो भी उन सबके लिए जो किताबें पढ़ने के इच्छुक हैं। कहा जा सकता है कि यह विचार बहुत अच्छा प्रतिस्थापन हुआ और कई लोग, जवान और वयस्क, इस अद्वितीय पोर्टेबल पुस्तकालय का उपयोग करने लगे। नैनीताल जिले में आप घोड़ा पुस्तकालय को कई दूरस्थ गांवों में देख सकते हैं।

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उत्तराखंड में एक अद्वितीय पुस्तकालय

उत्तराखंड में हाल के वक्त में मॉनसून की तीव्र बरसात और भूस्खलन ने बहुत ही कठिन पल दिखाए। उस समय उत्तराखंड में सब कुछ बंद हो गया, इसमें स्कूल और कॉलेज जैसे शैक्षिक संस्थान भी शामिल थे।

युवा पाठकों के लिए अनूठी पहल

उत्तराखंड के दूरस्थ हिस्सों में, जहां जीवन सुखद है, वहीं स्कूल बंद हो जाने से युवा पाठकों को उनकी आवश्यक शिक्षा, खासकर पढ़ाई की आदत, प्राप्त नहीं हो रही थी। इसे बचाने के लिए, नैनीताल के एक निवासी, शुभम बढ़ानी, ने अलग-अलग और शानदार विचारों को सोचा और ‘घोड़ा पुस्तकालय’ की इस अद्वितीय और प्रिय विचार का निर्माण किया।

नाम से ही पता चलता है कि यहां एक घोड़ा है जो अपनी पीठ पर किताबों का एक बंडल लेकर गांव-गांव घूमता है, वो भी उन सबके लिए जो किताबें पढ़ने के इच्छुक हैं। कहा जा सकता है कि यह विचार बहुत अच्छा प्रतिस्थापन हुआ और कई लोग, जवान और वयस्क, इस अद्वितीय पोर्टेबल पुस्तकालय का उपयोग करने लगे।

ghoda library of nainital uttarakhand on the hills of kumaon run by shubham badhani become viral to deliver books to students know in detail about it sry | Ghoda Library: घोड़ा लाइब्रेरी
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गांवों में पहुंची पढ़ाई की सहूलियत

इससे गांवों के बच्चों को अब पुस्तकों और अन्य अध्ययन सामग्रियों की पूरी पहुंच है। नैनीताल जिले में घोड़ा पुस्तकालय को कई दूरस्थ गांवों में देखा जा सकता है, जैसे कि बघानी, जालना, महलधुरा, अलेख, गौतिया, धिंवखरक, और बंसी। अब जब स्कूल बंद हो जाते हैं, तो बच्चों को पुस्तकों का उपयोग करने का मौका है।

माता-पिता की सहभागिता ने बनाई यह पहल सफल

इस पहल की सफलता माता-पिता की सहभागिता के कारण थी। एक व्यवस्था की गई थी जहां माता-पिता हर हफ्ते अपने घोड़ों का एक दिन योगदान करते थे। सच कहें, घोड़ा एक काफी अच्छा विचार था। यह बच्चों के ध्यान को खींच लेता था, और वयस्कों को भी जरूरत थी।

होर्स लाइब्रेरी नैनीताल: सवालों के सर्वश्रेष्ठ उत्तर

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1. होर्स लाइब्रेरी क्या है?

होर्स लाइब्रेरी नैनीताल एक अद्वितीय प्रयास है जिसमें एक घोड़ा किताबों के साथ गांवों में घूमता है और जो भी किताब पढ़ने के इच्छुक हैं, उनके लिए रुकता है।

2. होर्स लाइब्रेरी कैसे काम करती है?

यह होर्स गांवों में जाता है और वहां के लोगों के लिए किताबों का एक संग्रह लेकर आता है, जो पढ़ने के इच्छुक होते हैं। इसका उद्देश्य गांव के लोगों को पढ़ाई की सुविधा प्रदान करना है, खासकर जब स्कूल बंद होते हैं।

3. होर्स लाइब्रेरी कहाँ खोजी जा सकती है?

होर्स लाइब्रेरी को नैनीताल जिले के कई दूरस्थ गांवों में देखा जा सकता है, जैसे कि बघानी, जालना, महलधुरा, अलेख, गौतिया, धिंवखरक, और बंसी।

4. इस पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?

होर्स लाइब्रेरी का मुख्य उद्देश्य गांव के बच्चों को पुस्तकों और अन्य अध्ययन सामग्रियों की सुविधा प्रदान करना है, खासकर जब स्कूल बंद होते हैं, ताकि उनकी पढ़ाई बिना रुके जाए।

5. क्या माता-पिता इस पहल में शामिल हो सकते हैं?

हाँ, इस पहल में माता-पिता भी सहभागी हो सकते हैं। उन्होंने अपने घोड़ों को हर हफ्ते एक दिन के लिए योगदान करने के लिए एक व्यवस्था की है, जिससे बच्चों के लिए पढ़ाई की सुविधा में सहायता मिलती है।

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