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ठिठौरा झील फतेहपुर, प्राकृतिक रमणीय स्थल

ठिठौरा झील एक प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित है। यह झील ससुर खदेरी-2 नदी का उद्गम स्थल है और फिर यह नदी चार ब्लॉकों से होकर गुजरती है, इसके परिणामस्वरूप 42 गांवों को से होकर गुजरती है। यह स्थल पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण है और आने वाली पीढ़ियों को इस धरोहर का संरक्षण करने हेतु उत्साहित करता है।

स्थिति

ठिठौरा गाँव उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के तेल्यानी ब्लॉक में स्थित है और इलाहाबाद डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह गाँव फतेहपुर जिले के मुख्यालय से पश्चिम की ओर लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित है, और यह राज्य की राजधानी लखनऊ से लखनऊ से लगभग 117 किमी की दूरी पर है।

ठिठौरा झील का महत्व

ससुर खदेरी-2 नदी लगभग 46 किमी लम्बी छोटी नदी है जिसकी शुरुआत ठिठौरा ग्राम में ठिठौरा झील से होती है। फिर यह नदी फतेहपुर जिले के चार ब्लॉकों से होकर गुजरती है, और अपने पथ में 42 गांवों को से होकर गुजरती है।

इस नदी का जल स्रोत ठिठौरा झील है, जिसमें 2013 से जारी शासन व प्रशासन के प्रयासों के फलस्वरूप वर्षभर पानी  रहता है। ससुर खदेरी-2 नदी पुनर्जीवित होकर अपने पुराने स्वरूप में आ गई है, जिससे झील और नदी के सुधार कार्य के कारण समीपवर्ती ग्रामों में भूजल स्तर अच्छा हो गया है और आस-पास के किसानों को सिंचाई में सुविधा रहती है। झील के जीर्णोद्धार के अंतर्गत आस पास 60 हेक्टेअर क्षेत्र में पक्षी विहार के विकास की परियोजना भी सम्मिलित है।

सर्दियों का आकर्षण

सर्दियों में ठिठौरा झील में पक्षियों का मेला लगता है, और झील में सुबह से लेकर देर शाम तक सारस, वाणी, बत्तख समेत प्रवासी पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगता है। प्रवासी प्रजातियों के पक्षियों के झुंड को देखने देखने वालों की संख्या भी बढ़ने लगती है, और यह झील पक्षी दर्शन के शौकीनों के बीच में एक प्रमुख क्षेत्र बन चुका है।

भोरहरे बाबा का प्राचीन मंदिर

ठिठौरा ग्राम में बहुआ से 10 किमी उत्तर में स्थित भोरहरे बाबा का प्राचीन ईंट मंदिर इतिहासकारों द्वारा वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में पूरी तरह से ईंट से हुआ था और इसका परिसर पंचायतन लेआउट पर बनाया गया था, जिसमें प्रत्येक कोने पर चार मंदिर हैं। हालांकि, आज पूरी तरह से ईंट से बने केवल दो मंदिर देखे जा सकते हैं, जिनमें से एक पूरी तरह से खंडहर स्थिति में है, जबकि दूसरे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बहाल किया गया है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

ससुर खदेरी-2 नदी का पुनर्जीवन कैसे हुआ?

ससुर खदेरी-2 नदी का पुनर्जीवन 2013 से जारी शासन व प्रशासन के प्रयासों के फलस्वरूप हुआ है।

ठिठौरा झील की प्राकृतिक महत्व क्या है?

ठिठौरा झील ससुर खदेरी-2 नदी के जलस्रोत के रूप में महत्वपूर्ण है और आस-पास के किसानों को सिंचाई में सुविधा रहती है।

भोरहरे बाबा के प्राचीन मंदिर की विशेषता क्या है?

भोरहरे बाबा का प्राचीन मंदिर 10वीं शताब्दी में ईंट से बना हुआ है और आज भी इसकी वास्तुकला का अद्वितीय नमूना है।

ससुर खदेरी-2 नदी का जलसंकट कैसे निपटाया जा रहा है?

ससुर खदेरी-2 नदी के जलसंकट के निपटने के लिए जल संरक्षण के महत्व को समझा जा रहा है और साथ ही स्थानीय किसानों को सिंचाई में सुविधा दी जा रही है।

ठिठौरा झील और ससुर खदेरी-2 नदी के प्राकृतिक सौंदर्य का क्या महत्व है?

ठिठौरा झील और ससुर खदेरी-2 नदी के प्राकृतिक सौंदर्य का संरक्षण हमारे पर्यावरणीय धरोहर को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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