विज्ञान और तकनीक

टोयोटा बना रही है पेट्रोल की जगह हाइड्रोजन से चलने वाली कार

आपने एल्क्ट्रिक व्हीकल के बारे में तो अच्छी जानकारी इकठ्ठा कर ली होगी और हो सकता है की आपको हाइड्रोजन सेल से चलने वाली इलेक्ट्रिक कार के बारे में भी पता हो। एक ऐसी ही हाइड्रोजन सेल से चलने वाली टोयोटा मिआरा कुछ वर्ष पूर्व ही लांच हुई थी और उसने खूब सुर्खियां बटोरी थी।

पर आज हम आपको ऐसी कार के बारे में बताने जा रहे हैं जो की हाइड्रोजन को पेट्रोल की तरह इस्तेमाल करती है। यानि की इसमें एक इंटरनल कम्बश्चन इंजन लगा होता है, जैसा की पेट्रोल कार में होता है पर इसमें पेट्रोल की जगह हाइड्रोजन को जलाया जाता है जिससे इसके एग्जॉस्ट से धुआं नहीं बल्कि पानी निकलता है।

वर्ष 2020 में अमेरिकी बाजार में बुरी तरह पिटने के बाद टोयोटा ने तय किया की वो अपनी कारों में बड़ा बदलाव करेंगे, EV सेगमेंट से आगे निकल कर एक ऐसी उन्नत तकनीक का सहारा लेंगे जो की EV से भी बेहतर होगी और वैसा ही रोमांच देगी जैसा की पेट्रोल गाड़ी देती है, और ये गाड़ी EV गाड़ियों से भी ज़्यादा पर्यावरण को फायदा पहुंचाने वाली होगी।

इसी ध्येय को लेकर चलने पर टोयोटा ने तय किया की वो हाइड्रोजन से चलने वाले ICE (इंटरनल कम्बश्चन इंजन) का निर्माण कर के एक कार में लगाएंगे और उसका सफल परिक्षण कर उसे आम जनता के उपयोग में लाएंगे। लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी जुडी हुई हैं जैसे की बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन का उत्पादन एवं ट्रांसपोर्टेशन जो की आज के समय में इतना आसान नहीं है। साथ ही ऐसे इंजन में हाइड्रोजन के अनुकूल बहुत से बद्लाव करने पड़ते हैं जैसे की हाइड्रोजन के लिए सही टैंक, उन्नत फ्यूल इंजेक्शन इक्विपमेंट, इन्टेक और एग्जॉस्ट इत्यादि।

इसी तर्ज़ पर वर्ष 2021 में टोयोटा ने अपनी एक कोरोला रेसिंग कार को हाइड्रोजन ICE से लैस कर के एक छोटी रेस में उतारा और सफलता पूर्वक उस रेस को पूरा भी किया। जिससे की इस बात की स्थापना हो पाये की पेट्रोल के स्थान पर हाइड्रोजन का उपयोग कर के ICE इंजन वाली कार को चलाया जा सकता है।

उन्होंने निरंतर अपने डिज़ाइन को उत्तम करने के प्रयास किया है और सफलता पूर्वक पिछले तीन वर्षो से रेस में भाग ले रहे हैं।

इसमें इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोजन को भी गैर पारम्परिक संसाधनों से उत्पन्न किया गया है जिसका तात्पर्य है की हाइड्रोजन को पैदा करने में कार्बन उत्सर्जन न के बराबर हुआ है। इस इंजन से अप्रत्याशित एफिशिएंसी प्राप्त की गयी है और ये चलने में एकदम आम पेट्रोल इंजन जैसा है। इन रेसिंग कारों को चलाने वाले ड्राइवर ने कहा था की यदि बताया ना जाये की ये एक अलग कार है तो पता ही नहीं चलेगा की आप हाइड्रोजन पर चल रहे हैं या पेट्रोल पर।

यदि सबकुछ सही रहा और EV जैसा माहौल इस तकनीक को भी मिला तो हो सकता है की वर्ष 2030 तक ऐसी कार आम सड़को पर भी दिखने लगे। वैसे भी मोदी सर्कार ने ग्रीन हाइड्रोजन की पालिसी लाकर भारत को ऐसी कारों के लिए एकदम मुफीद बना दिया है।

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