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तुलसी गौड़ा वन की देवी के नाम से पुकारी जाती है

तुलसी गौड़ा एक भारतीय ‘पर्यावरण संरक्षण’ हैं। तुलसी गौड़ा का जन्म 1944 में कर्नाटक राज्य के अंकोला तालुक के एक गांव होन्नली में हुआ था। जब वह २ वर्ष की थी तभी उनके पिता का निधन हो गया था। उनका विवाह ११ वर्ष की आयु में उसकी शादी गोविंदे गौड़ा नाम के एक आदमी से कर दी गई थी। बचपन से ही वह अपनी माँ के साथ एक लोकल नर्सरी में दिहाड़ी मजदूर के रूप में कार्य करने लगी।

नर्सरी में काम करते-करते उनकी दिलचस्पी पेड़-पौधों में बढ़ने लगी। गौड़ा ने 35 साल तक अपनी मां के साथ दिहाड़ी मजदूर के रूप में नर्सरी में काम करना जारी रखा। तद्पश्चात उन्हें संरक्षण और वनस्पति विज्ञान के व्यापक ज्ञान के लिए उनके काम को मान्यता देने के लिए एक स्थायी पद की पेशकश की गई।

तुलसी गौड़ा को पर्यावरण विदों द्वारा “वन के विश्वकोश” के रूप में जाना जाता है उन्हें 2021 में, भारत सरकार द्वारा उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया। तुलसी गौड़ा जी को कर्नाटक वानिकी विभाग ने भी बीज विकास और संरक्षण के उनके कार्य के लिए कई पुरस्कार और सम्मान दिए है।

वन विभाग मे कार्यरत रहते हुए गौड़ा जी ने अनगिनत पेड़-पौधों लगाए और सभी को पेड़-पौधों लगाने के लिए प्रोत्साहित भी किया। वह अपना जीवन बहुत ही सादगी से व्यतीत करती है। वह सदैव अपनी पारम्परिक आदिवासी पोषक में और नंगे पैर ही रहती है। वह लगभग 30,000 से अधिक पौधे लगा चुकी हैं। उनके जनजाति मे उन्हें “पेड़ देवी” के रूप में जाना जाता है।

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