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उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा ‘‘संस्कृतस्य प्राचीनता, महत्ता एवं व्यापकता‘‘ विषय पर व्याख्यान गोष्ठी का आयोजन

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संस्थान परिसर के प्रेक्षागृह में आज संस्कृत सप्ताह के अवसर पर संस्कृत प्रतिभा खोज योजना के अन्तर्गत संस्कृत गीत, संस्कृत सामान्य ज्ञान एवं संस्कृत वाचन प्रतियोगिता एवं ‘‘संस्कृतस्य प्राचीनता, महत्ता एवं व्यापकता‘‘ विषय पर व्याख्यान गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन करते हुए सरस्वती प्रतिमा को मार्ल्यापण कर किया।

संस्थान के निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में लखनऊ के विभिन्न विद्यालयों से आये लगभग 250 छात्रों एवं उनके साथ आये अभिभावकों/अध्यापकों के साथ अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन एवं वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत हमारे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए अच्छा विकल्प है। संस्कृत सप्ताह मनाने का उद्देश्य यही है कि इस भाषा को और अधिक बढ़ावा मिले, इसे आम जनता के सामने लाया जाये, हमारी नयी पीढ़ी इस भाषा के बारे में जाने, और इसके बारे में ज्ञान प्राप्त करे। संस्कृत भाषा बहुत सुंदर भाषा है, ये कई सालों से हमारे समाज को समृद्ध बना रही है, संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक है।

संस्कृत प्रतिभा खोज उ0प्र0 संस्कृत संस्थान की अनूठी योजना है जिसका उद्देश्य पूरे प्रदेश की संस्क्ृत प्रतिभाओं को आगे बढ़ाना है। संस्कृत प्रतिभा खोज चरणबद्ध तरीके से जनपद स्तर, मण्डल स्तर से होती हुई राज्य स्तर पर एक भव्य समारोह के माध्यम से सम्पन्न होगी। इसमें प्रदेश के सभी विद्यालयों के बच्चों की प्रतिभागिता होगी। संस्कृत भाषा को आम-जन की भाषा बनाने तथा उसके प्रचार-प्रसार व संरक्षण के लिए संस्थान अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निरन्तर कार्य कर रहा है।

कार्यकम्र में निर्णायक एवं ‘‘संस्कृतस्य प्राचीनता, महत्ता एवं व्यापकता‘‘ विषय पर व्याख्यान गोष्ठी में वक्ता के रूप में आमंत्रित डॉ० पद्मनी नातू, डॉ० नेहा श्रीवास्तव, डॉ० शेषमणि शुक्ल, डॉ० भुवनेश्वरी भारद्वाज, डॉ० शिवानन्द मिश्र एवं डॉ० विपिन कुमार झा द्वारा अपने-अपने विचार व्यक्त किये गये।

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