100 साल पुराने और बेकाम के नियम-कानूनों को खत्म किया जाएगा - योगी सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नक्श-ए-कदम पर चल रहे हैं | मोदी सरकार की तरह ही योगी सरकार ने भी पुराने हो चुके कानूनों को हटाने का फैसला किया है | 100 साल पुराने और बेकाम के नियम-कानूनों को खत्म किया जाएगा | इसका सीधा मकसद व्यापारियों के लिए बिजनेस का रास्ता आसान करना है | इसके लिए संबंधित विभाग अपने यहां पुराने कानूनों की समीक्षा कर रहे हैं | यूपी सरकार पुराने कानून को हटाने का काम केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के निर्देश पर कर रही है | संबंधित विभाग समीक्षा करके बताएंगे कि कौन सा कानून रखा जाए और किसे खत्म किया जाए | इसके अलावा विभाग ये भी बताएंगे कि क्या इन पुराने कानूनों को दूसरे संबंधित अधिनियम में शामिल किए जा सकता है | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस काम का जिम्मा औद्योगिक विकास विभाग को दिया है | पुराने कानून खत्म होने से उद्यमी अपना उद्योग जल्द लगा सकेंगे और उन्हें नियमों के जंजाल से निजात भी मिलेगा | साथ ही साथ आम जनता को भी नियम-कानून कम होने से राहत मिलेगी |
यूपी में कुछ ऐसे कानून हैं, जो साल 1920 से चले आ रहे हैं | जैसे- 'यूपी रूल्स रेगुलेटिंग द ट्रांसपोर्ट टिंबर इन कुमाऊं सिविल डिवीजन -1920 | गौरतलब है कि 20 साल पहले ही कुमाऊं क्षेत्र समेत पूरा उत्तराखंड एक अलग राज्य बन चुका है | लेकिन यह कानून अब भी यूपी में जारी है | कुछ ऐसे भी कानून हैं, जो करीब 82 साल पुराने हैं, जिन पर विभाग विचार कर रहे हैं | कुछ ऐसे कानून हैं, जिनसे जुड़े चार अलग-अलग नियम हैं | इन नियमों को मिलाकर एक कानून बनाया जा सकता है | यूपी इशेंसियल कॉमोडिटीज, यूपी शिड्यूल्ड कॉमोडिटीज, यूपी कैरोसीन कंट्रोल आर्डर 1962, यूपी सेल्स ऑफ मोटर स्प्रिट ,डीजल आयल एंड अल्कोहल टैक्सेशन एक्ट पर ये निर्णय लिया जा सकता है | कानून खत्म करने के लिए औद्योगिक विकास विभाग ने विभागों से पूछताछ की है | एक दर्जन विभागों ने जवाब भेज दिया है | माना जा रहा है कि करीब 50 से ज्यादा कानून ख़त्म हो जाएंगे | और इस मामले पर जल्द प्रधानमंत्री कार्यालय भी समीक्षा बैठक भी करेगा |