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असाधारण गौरव का प्रतीक गाजीपुर स्थित सम्राट स्कंदगुप्त का विजय स्तंभ

गाजीपुर जनपद की सैदपुर तहसील मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर उत्तर-पूर्व में भीतरी गांव स्थित सम्राट स्कंदगुप्त का विजय स्तंभ अपने गुप्त कालीन स्वर्ण युग का बखान करता है। यह ऐतिहासिक स्तंभ अपने अतीत के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है और आज भी यहां से गुजरने वाले पथिकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

सम्राट स्कंदगुप्त महान शासक

सम्राट स्कंदगुप्त गुप्त साम्राज्य के महान शासक थे। वे अपने बौद्धिक और सैन्य कौशल के लिए प्रसिद्ध थे और उन्होंने गुप्त साम्राज्य को और भी मजबूत किया। स्कंदगुप्त ने अपने शासनकाल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों को जीता और गुप्त साम्राज्य को एक प्रमुख शक्ति बनाया।

स्कंदगुप्त का विजय स्तंभ

स्कंदगुप्त का विजय स्तंभ लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है और इसकी ऊंचाई 15 फीट है। इस स्तंभ का ऊपरी भाग अच्छी तरह से पॉलिश किया गया है और इसमें छेनी के विशिष्ट निशान हैं। स्तंभ का शीर्ष भाग टूट गया है और जो कुछ बचा है वह घंटी के आकार का आधार है। इस स्तंभ का स्मारकीय महत्व है और यह ऐतिहासिक गांव में स्थित है, जिसे अत्यंत प्राचीन और पुरातात्विक महत्व का स्थान माना जाता है।

ऐतिहासिक धरोहर

स्कंदगुप्त की लाट के नाम से लोकप्रिय इस स्तंभ में उनके पूर्ववर्ती कुमारगुप्त का भी उल्लेख है, जिनका नाम स्तंभ के आधार पर खुदाई की गई कई बड़ी ईंटों में पाया गया है। स्तंभ के समीप के खंडहरों में मुहरों और सिक्कों के साथ कुमार गुप्त के शिलालेख वाली एक अंडाकार चांदी की प्लेट मिली है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह पुरातात्विक स्थल एक शाही महल रहा होगा क्योंकि गुप्त शासनकाल के दौरान भीतरी को प्रमुख स्थान प्राप्त था।

इस साम्राज्य का समय सुखद था और इसके शासक अपने राज्य को सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाने में सफल रहे। गुप्त साम्राज्य के शासक अपने शासनकाल के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया और इसे एक सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बनाया।

स्तंभ के शिलालेख

स्तंभ के शिलालेख में उन्नीस पंक्तियाँ हैं जो गुप्त वंश से शुरू होती हैं और नौ पीढ़ियों से चली आ रही हैं। इन पंक्तियों में गुप्त वंश की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन है और यह बताता है कि इस वंश के शासकों ने कैसे अपने समय में महत्वपूर्ण योगदान किए।

स्कंदगुप्त का जीवन

शिलालेख में स्कंदगुप्त के जीवन का वर्णन भी है, जिसमें उनके शासनकाल की महत्वपूर्ण घटनाओं का संक्षेप है। स्कंदगुप्त ने अपने शासनकाल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों को जीता और अपने साम्राज्य को मजबूत किया। उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन को प्रोत्साहित किया और इसे एक स्वर्ण युग के रूप में याद किया जाता है।

बर्बर हुणों का संहार

शिलालेख में एक और महत्वपूर्ण घटना है, जिसमें स्कंदगुप्त ने बर्बर हुणों का संहार किया। इस घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है कि स्कंदगुप्त एक महान सैन्य नेता भी थे जो अपने देश की सुरक्षा के लिए संघर्ष किया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

स्कंदगुप्त का विजय स्तंभ क्यों आकर्षित करता है?

स्कंदगुप्त के विजय स्तंभ गुजरने वाले पथिक को अपनी ओर आकर्षित करता है क्योंकि यह ऐतिहासिक महत्व और महान शौर्य गाथा से जुड़ा हुआ है।

स्कंदगुप्त के शिलालेख क्या बताते हैं?

स्कंदगुप्त के शिलालेख गुप्त वंश के इतिहास, स्कंदगुप्त के जीवन, उनके साम्राज्य की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन करते हैं और इसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत के रूप में माना जाता है।

स्कंदगुप्त का विजय स्तंभ कैसे बनाया गया था?

स्कंदगुप्त का विजय स्तंभ लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया था। इसका ऊपरी भाग अच्छी तरह से पॉलिश किया गया था जबकि निचले हिस्से पर विशिष्ट छेनी के निशान हैं। स्तंभ का शिखर टूट गया है और जो कुछ बचा है वह घंटी के आकार का आधार है।

स्कंदगुप्त के शिलालेख की भाषा क्या है?

स्कंदगुप्त के शिलालेख की भाषा संस्कृत है।

स्कंदगुप्त विजय स्तंभ से जुड़ी अन्य क्या महत्वपूर्ण खोज है?

हां, स्तंभ के समीप के खंडहरों में मुहरों और सिक्कों के साथ कुमारगुप्त के शिलालेख वाली एक अंडाकार चांदी की प्लेट मिली है। जिससे प्रतीत होता है कि गुप्त शासनकाल के दौरान भीतरी को प्रमुख स्थान प्राप्त था।

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