इसरो का पीएसएलवी रॉकेट ‘आदित्य’ की लॉन्चिंग की उलटी गिनती शुरू हो गई है, और भारत का पहला सौर अभियान कुछ ही घंटों में पूरा हो जाएगा। इसके बाद, यह सैटेलाइट करीब चार महीने तक यात्रा करेगा और पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर रहेगा। उपग्रह को यहां स्थित लैग्रेंज बिंदु की प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। ये लैग्रेंज पॉइंट क्या हैं? और आखिर इस जगह पर आदित्य उपग्रह क्यों रखा जाने वाला है? इस लेख में हम इन सवालों के उत्तर ढूंढ़ेंगे।
लैग्रेंज पॉइंट क्या हैं?
लैग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में वे स्थान हैं जहां कोई वस्तु रखी जाती है; वह चीज़ हमेशा वहीं रहती है और उसको स्थिर रखने के लिए बहुत कम बल या ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसका कारण यह है कि सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल और उस बिंदु के निकट किसी अन्य बड़ी वस्तु के गुरुत्वाकर्षण बल के बीच एक निश्चित संतुलन होता है। इसका आविष्कार इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लाग्रेंज ने किया था और उन्होंने इन बिंदुओं को लैग्रेंज नाम दिया था।
लैग्रेंज बिंदु के प्रकार
L1: यह सूर्य के पथ पर है और सूर्य को बिना किसी रुकावट के देखा जा सकता है।
L2: यह पृथ्वी के पीछे लैग्रेंज बिंदु है, और इस स्थान से लगातार सूर्य का अवलोकन करना संभव नहीं है।
L3: यह भी सूर्य के पीछे है।
L4 और L5: एक निश्चित कोण पर स्थिर लैग्रेंज बिंदु हैं।
L1 क्यों चुनें?
‘आदित्य’ उपग्रह की मेजबानी के लिए एल1 बिंदु को चुनने के कई कारण हैं। इस स्थान से लगातार सूर्य का अवलोकन करना संभव है, क्योंकि यहां से सूर्य तक कोई बड़ी घटना नहीं घटती है। साथ ही, इस स्थान पर कोई बाधा नहीं है, और यहां से 24×7 सूर्य का अध्ययन संभव है। आदित्य को इस बिंदु के चारों ओर त्रि-आयामी प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जिससे वह अपने विभिन्न उपकरणों के माध्यम से सूर्य का अवलोकन और अध्ययन कर सकेगा।
समापन
इस प्रक्रिया के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में नए मानदंड स्थापित कर रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान में नए दरवाजे खोल रहा है। ‘आदित्य’ उपग्रह की मेजबानी से हम सूर्य के और अधिक साक्षर हो सकेंगे और उसकी रहमानी में नई जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
लैग्रेंज पॉइंट क्या होते हैं?
लैग्रेंज पॉइंट अंतरिक्ष में वे स्थान होते हैं जहां वस्तु आसानी से स्थिर रहती है बिना किसी बड़े बल या ऊर्जा की आवश्यकता के।
लैग्रेंज बिंदु कितने प्रकार के होते हैं?
लैग्रेंज बिंदु पांच प्रकार के होते हैं – L1, L2, L3, L4, और L5।
‘आदित्य’ उपग्रह क्यों एल1 बिंदु पर रखा जाता है?
‘आदित्य’ उपग्रह को एल1 बिंदु पर रखा जाता है क्योंकि यह सूर्य के पथ पर है और सूर्य के बिना किसी रुकावट के अवलोकन करने की सुविधा प्रदान करता है।
इसरो का ‘आदित्य’ अभियान क्यों महत्वपूर्ण है?
‘आदित्य’ अभियान से हम सूर्य के और करीब से जान सकेंगे और सूर्य के गुप्त रहस्यों को सुलझा सकेंगे, जो अंतरिक्ष विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण हैं।