जब सहमति से यौन संबंध बने तो फिर लड़का बलात्कारी कैसे हो जाता है , जबकि यही माना जाता है कि लड़की लड़के से पहले समझदार हो जाती है। फिर बलात्कार किस आधार पर कहा गया। किशोर यौन संबंध को अपराध को अपराध माना जाये या नहीं ,सुप्रीम कोर्ट ने रोमियो-जूलियट कानून के आवेदन पर केंद्र से जवाब मांगा है, आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए किए गए एक अध्ययन के अनुसार 25-49 वर्ष की आयु वर्ग की 10% महिलाओं ने अपना पहला संभोग 15 वर्ष की आयु से पहले किया था। 39% ने 18 वर्ष की आयु से पहले किया था इस आधार पर उच्चतम न्यायालय केंद्र से जवाब मांगा । यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे यदि यौन संबंध बनाते हैं तो सहमति महत्वहीन है। देश में सहमति से किशोर यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए। शीर्ष अदालत में इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया था कि लाखों 18 साल से कम उम्र की लड़कियां और 18 साल से अधिक उम्र के लड़के सहमति से यौन संबंध बनाते हैं, लेकिन एक लड़के को वैधानिक रूप से गिरफ्तार कर लिया जाता है। यदि लड़की गर्भवती हो जाती है तो बलात्कार होता है। उसके माता-पिता पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हैं।
कोई भी व्यक्ति जो ऐसे कम उम्र के व्यक्ति के साथ सेक्स संबंध बनाने का प्रयास करता है, यौन उत्पीड़न का दोषी होगा। भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत, 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बलात्कार है, भले ही उसने अपनी सहमति दी हो।
रोमियो-जूलियट कानून कई देशों में लागू है। इसके अंतर्गत वैधानिक बलात्कार के आरोप किशोर यौन संबंध के मामलों में केवल तभी लागू होते थे जब लड़का वयस्क हो। 2007 के बाद से, कई देशों ने रोमियो-जूलियट कानून को अपनाया है। अधिकांश लड़के सहमति के बाद भी बलात्कार के आरोपों में जेल में बंद हो जाते हैं और बदनाम अलग होते हैं।