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लाखो स्त्रियां कँहा गायब हो गई ?

हम महिलाओं को माँ दुर्गा , माँ लक्ष्मी आदि की तरह पूजते हैं और लड़की पैदा होने में उसे माँ लक्ष्मी का स्वरुप मानते हैं यदि वह तेज है तो मजाक में ही सही उसे माँ काली या दुर्गा रूप मान लेते हैं। उसके बाबजूद देश में तीन साल में 13 लाख लड़कियां और महिलाएं गायब हैं, जिसमे दिल्ली का आंकड़ा चौरासी हजार है। इसका कारण भारत में राजनीती का स्तर , एक स्तर पर आ गया है। निर्णय लेने में धनवान और गरीब का भेद है यदि गरीब पर पास्को एक्ट लगा तो तुरंत गिरफ्तार यदि अमीर पर लगा तो जाँच होगी यदि वह प्रभावशाली है तो कानून के नए नए फंडे लागू होंगे। यदि लड़की कंही चली गई तो सीधे कहा जाता है भाग गई होगी।

यदि स्त्री किसी व्यक्ति का प्रेम प्रस्ताव स्वीकार न करे तो वह उस पुरुष की नज़र में चरित्रहीन स्त्री है। अब दिल्ली के ओखला में रहने वाली एक 14 साल की लड़की को ले लीजिये वह घर से गायब हो गई और आज तक घर नहीं लौटी। उस बच्ची की तलाश केवल परिवार कर रहा है और वह करते करते थक सा गया है। लड़की के भाई के अनुसार , पड़ोस में रहने वाले 35-40 साल के एक आदमी पर शक था क्योंकि इस घटना से दो-ढाई महीने पहले भी उसकी बहन उस आदमी के साथ दो दिन के लिए चली गई थी। पूछताछ करके दिल्ली के ही एक इलाके से वो मिले और हमने पुलिस में शिकायत दी। वो गिरफ्तार हुआ, मगर फिर छूट गया। वह आदमी मोबाइल दिलाने के बहाने उसे ले गया था। इसके बाद दुबारा जब वो गई तो कभी लौटकर वापस नहीं आयी। उसका मोबाइल आज भी बंद है, वो आदमी भी गायब है। और उसका मोबाइल भी बंद है। पुलिस बैठी है शायद पुलिस को ईशवरीय चमत्कार का इंतज़ार है।

गुमशुदगी का दर्द किसी परिवार के लिए अपनों की मौत से भी जयादा खतरनाक होता है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार दिल्ली में सबसे ज्यादा 61,054 महिलाएं और 22,919 लड़कियां गायब हैं । विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली ट्रैफिकिंग का हब है, जहां देशभर से लड़कियां जिस्मफरोशी से लेकर बतौर हाउस हेल्प लायी जाती हैं। ट्रैफिकिंग को लेकर देश में सख्त कानून की कमी और गुमशुदा लोगों को ट्रेस करने में पुलिस का ढीला सिस्टम गायब के केस में इजाफा कर रहा है। मगर दिल्ली पुलिस के आंकड़े कहते हैं कि दिल्ली से लड़कियों-महिलाओं की तस्करी के मामले बहुत कम हैं। क्योकि यदि क़ानूनी धाराएं के अनुसार आकंड़ा देखोगे तो कम ही नज़र आएगा।

अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में 80% से ज्यादा मामले बहला-फुसलाकर भगा ले जाना, प्रेम प्रसंग, आर्थिक तंगी, शिक्षा की कमी के कारण हैं । इनमें से कई केस आगे चलकर हत्या, रेप, जैसे गंभीर अपराध के मामलों में भी बदलते हैं। मगर दिल्ली में देशभर से लड़कियां तस्करी करके लायी जाती हैं। 1 जनवरी से लेकर 30 जुलाई के बीच दिल्ली में एंट्री ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने 89 बच्चियां और लड़कियों को रेस्क्यू किया, जिसमें से 73 नाबालिग थीं।

पिछले साल नवंबर में 15 साल की लड़की साउथ ईस्ट दिल्ली से अचानक गायब हो गई। लड़की के इलेक्ट्रिशियन पिता बताते हैं, कि थाने गए, शिकायत लिखी गई मगर कई दिन तक यही जवाब मिलता रहा कि ढूंढ रहे हैं। बच्ची जो मोबाइल ले गई थी, वो नंबर भी दिया था। फिर एनजीओ वालों के पास गया। उन्होंने उसी मोबाइल नंबर से बेटी को दो महीने में ढूंढ लिया।

जयादातर लड़कियों के मामले में खास कर नाबालिग के मामले में पुलिस सिर्फ प्रेम प्रसंग ही मानती है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नाबालिग के मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज करनी है। किसी घटना के शुरुआती घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं जो पुलिस मिस कर देती है। । अगर परिवार वाले बता भी रहे हैं कि वो कहां हो सकती है, तब भी कई मामलों में पुलिस दूसरे राज्य में जाकर ट्रेस नहीं करती। पुलिस स्टाफ की कमी, खर्चा वगैरह भी उन्हें रोकता है। दिल्ली में 1 नवंबर 2022 को 15 साल की लड़की गायब हुई थी। तीन दिन तक पुलिस ने एफआईआर नहीं की। जबकि ऐन जी ओ ने एनसीपीसीआर के जरिए हरियाणा पुलिस की मदद ली और लड़की को उसी लड़के के पास से रेस्क्यू किया मगर तब तक वो डेढ़ महीने की प्रेग्नेंट थी। अगर पुलिस तुरंत जांच शुरू करती, तो बच्ची को एबॉर्शन ट्रॉमा नहीं झेलना पड़ता। नौकरी और प्रेम के झांसे में लड़कियों को दूसरे राज्य ले जाकर बेच भी दिया जाता है, उनका संपर्क परिवार से टूट जाता है और वो गुमशुदा मान ली जाती हैं।

चिल्ड्रंस फाउंडेशन के अनुसार , मिसिंग बच्चियों के मामले में सोशल मीडिया का भी बड़ा रोल है। हमने देखा है कि मोबाइल पर गेम खेलते या सोशल मीडिया पर चैट करते लड़की से दोस्ती हुई, वो शख्स उसे भगा कर दूसरे राज्य में ले गया और फिर 25-30 हजार में उसे बेच दिया। कोविड के बाद ऐसे मामले बढे हैं।

 

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