इस कॉरिडोर के बन जाने से भारत को क्या फायदा

जी-20 सम्मलेन में एक ऐसा समझौता हुआ है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। चीन कॉरिडोर बना रहा था , जिसमे इटली ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और वह उस कोरिडोर हट गया है। जी-२० सम्मलेन में इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर बनाने की घोषणा हुई है। 8 देशों भारत, सऊदी अरब, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूएई और यूरोपीय यूनियन का यह प्रोजेक्ट होगा। इस सम्मलेन ने भारत की भागीदारी के कई दरवाजे खोले हैं। इस कॉरिडोर के बन जाने से भारत से यूरोप तक सामान पहुंचाने में करीब 40 प्रतिशत समय की बचत होगी।
जी-20 के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत ‘कनेक्टिविटी’ को क्षेत्रीय सीमाओं तक नहीं बांधता और उनका मानना है कि यह आपसी विश्वास को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। आज हम कॉरिडोर बनाने की बात कर रहे हैं तो क्या पहले निर्यात या आयत नहीं होता था, बताते चलें कि गुप्त काल , व्यापार के लिए भारतीय इतिहास के स्वर्ण युग कहा गया। गुप्त काल में भारत और इथोपिया के बीच व्यापार जयादा होता था। व गुप्त शासकों ने इथोपिया के जरिए बाइजेंटाइन साम्राज्य तक पहुंचने की कोशिश की थी। गुप्तकाल में व्यापार अपने चरम पर था। आधुनिक तामलिक बंगाल का एक प्रमुख बंदरगाह था। चीन, जावा और सुमात्रा के साथ अधिक व्यापार होता था। दक्षिणी बंदरगाहों ने पूर्वी द्वीपसमूह, चीन और एशिया के साथ व्यापक व्यापार किया।
गुप्त काल में आर्थिक समृद्धि असाधारण थी। जयादातर व्यापार नदियों के जरिए होता था। गंगा नदी, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी नदी के द्वारा व्यापार होता था। गुप्कालीन नरेश उस समय स्वर्ण मुद्राओं से व्यापार करते थे जैसे आज डॉलर से करते हैं यह व्यापर मुख्य रूप से कपड़ा, मसाले, नमक, कीमती पत्थर आदि का होता था।
गुप्त काल में भारतीय निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में रेशम व मसाले प्रमुख थे। भृगुकच्छ पश्चिमी समुद्रतट पर स्थित एक प्रसिद्ध बंदरगाह था। ताम्रलिप्ति पूर्वी भारत में होने वाले सामुद्रिक व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र था। चीन,इंडोनेशिया और श्रीलंका के व्यापारिक जहाज यहां आते जाते थे।
चंद्रगुप्त प्रथम और कुमार देवी के पुत्र थे समुद्रगुप्त। समुद्रगुप्त 335 ई. में राजा बने। समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है। क्योकि इसी काल को गुप्त वंश के स्वर्णकाल की शुरुआत मानी जाती है। बड़े भूभाग पर वर्चस्व के कारण ही समुद्रगुत को धरणीबंध कहा गया। इसका मतलब वह व्यक्ति जिसने धरती को बांध लिया।….ek arya