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कानपुर के अद्भुत कात्यायनी देवी मंदिर में पूरी होती हैं मनौतियाँ

कानपुर देहात के अमरौधा ब्लाक क्षेत्र के कथरी गांव में यमुना नदी के तट पर कात्यायनी देवी का प्राचीन एवम अलौकिक मंदिर स्थित है। इसे कथरी देवी का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर की अलग-अलग मान्यताएँ हैं एवं श्रद्धालु यहां वर्ष भर आते हैं। लोगों की मनौतियां पूर्ण होने की वजह से यहां नवरात्रि में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।

एक मान्यता के अनुसार शाहजहांपुर के जमींदार पंडित गजाधार के कोई संतान नही थी। उन्होंने मां कात्यायनी की महिमा के बारे में सुना तो माता से संतान की मनौतियां मांगी। माता की अनुकंपा से कुछ दिन बाद उनकी मन्नत पूरी हुई तो उन्होंने माता के मंदिर का निर्माण कराया। बाद में परिजनों ने मंदिर के निकट तालाब व बारादरी का निर्माण कराया। इसके बाद माता की महिमा दूर-दूर तक विख्यात हो गयी और दूर जनपदों से लोग आने लगे। तब से प्रत्येक वर्ष चैत्र व शारदीय नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगता है और मेले का आयोजन होता है।

कुछ बुजुर्ग ग्रामवासियों के अनुसार लगभग 5 शताब्दी पूर्व एक राजा देवी की मूर्ति को रथ पर रखकर ले जा रहे थे। कथरी गांव के समीप पहुंचने पर अचानक उनका रथ सुनाव नाले में फंस गया। काफी प्रयास के बावजूद रथ नही निकल सका। इस पर राजा ने मूर्ति को सुनाव नाले के पास करील के पेड़ के नीचे रख दिया जिसके बाद लोग वहां देवी की पूजा करने लगे। एक दिन माता कथरी देवी ने गांव के रामादीन को स्वप्न में आदेश दिया कि वह मूर्ति को गांव के समीप स्थापित कराए। रामादीन ने गांव के लोगों के सहयोग से एक टीले पर देवी की मूर्ति को स्थापित कराकर चाहरदीवारी बनवा दी।

नवरात्रि पर्व के अवसर पर कात्यायनी देवी के मंदिर में जयकारे गूंजते हैं। मान्यताओं के चलते दूर दराज़ से भक्त यहां पहुंचते हैं और मनौती पूरी होने पर चुनरी व घंटे चढ़ाते हैं। श्रद्धालु सुबह से ही पूजन की थाली लेकर माता के दर्शन व अर्चना करते हैं। कुछ श्रद्धालु हवन पूजन कर मां की आराधना करते हैं साथ ही यहां पर मुंडन संस्कार की भी परंपरा है।

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