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जौनपुर के प्राचीन मां शीतला चौकिया देवी मंदिर में है शक्ति और शिव की उपासना का अद्भुत संगम

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद में प्राचीन मां शीतला चौकिया देवी मंदिर स्थित है, जहाँ देवाधिदेव महादेव शिव और आदि देवी शक्ति की पूजा भी होती है। यह मंदिर बहुत पुराना है और शिव-शक्ति की उपासना प्राचीन भारतीय समाज के समय से चली आ रही है।

इतिहास के अनुसार, हिंदु महाराजाओं के काल में जौनपुर का शासन अहीर शासकों के हाथ में था। जौनपुर के पहले अहीर शासक को हीरा चन्द्र यादव माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि‍ चौकि‍यां देवी का मन्दिर कुल देवी के रूप में यादवों या भरो द्वारा र्नि‍मित कराया गया, परन्तु् भरों की प्रवृत्ति को देखते हुए चौकि‍यां मन्दिर उनके द्वारा बनवाया जाना अधि‍क युक्तिक‍संगत प्रतीत होता है। भर अनार्य थे एवं अनार्यो में शक्तिि‍ व शि‍व की पूजा होती थी। जौनपुर में भरो का आधि‍पत्त भी था। सर्वप्रथम चबूतरे अर्थात चौकी पर देवी की स्था‍पना की गयी होगी, संभवतः इसीलि‍ए इन्हे चौकि‍या देवी कहा गया। देवी शीतला को आनंददायिनी का प्रतीक माना जाता है इसीलि‍ए उनका नाम मां शीतला देवी पड़ा।

माँ शीतला देवी के उद्भव की कथा अत्यंत रोचक है। एक कहानी के अनुसार, देवी दुर्गा ने ऋषि कात्यायन की बेटी छोटी कात्यायनी के रूप में राक्षसों को नष्ट करने के लिए धरती पर अवतार लिया था। ज्वरासुर नामक दैत्य उनके बाल मित्रों को भयानक रोगों से ग्रस्त कर रहा था। कात्यायनी ने अपने मित्रों की बीमारियों को ठीक कर दिया परन्तु समस्त संसार को बुखार और अन्य बीमारियों से राहत देने के लिए कात्यायनी ने माँ शीतला देवी का रूप धारण किया। माँ शीतला देवी ने अपने चार हाथों में झाड़ू, सूप का पंखा, ठंडा पानी का जार, और पानी पीने का प्याला धारण किया था और उन्होंने अपनी शक्ति से बच्चों के रोग ठीक कर दिए।

इस प्राचीन मंदिर में सोमवार और शुक्रवार को श्रद्धालु काफी संख्या में आते हैं, और नवरात्र में भारी भीड़ उमड़ती है। यहां आने वाले भक्तों को शीतला देवी की कृपा और आशीर्वाद मिलता है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति के धरोहरों में से एक है, और इसे संतुष्टि और आनंद का प्रतीक माना जाता है।

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