कोरोना को लेकर WHO की बड़ी चेतावनी

WHO के प्रमुख वैज्ञानिक ने कहा कि भले ही पूरे देश में वैक्सीन आ गई हो या लगवाना शुरू कर दिया गया हो लेकिन 2021 में हर्ड इम्युनिटी का आना मुश्किल, क्योंकि कई देशो में ज्यादा आबादी का होना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने से हर्ड इम्युनिटी आने में ज्यादा समय लगेगा | WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का मानना है कि दुनिया के कई देशो में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल है और कुछ देशों में तो लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को मान ही नहीं रहे है | इसलिए वैक्सीन प्रोग्राम के बाद भी हर्ड इम्युनिटी का आना मुश्किल लग रहा है | हाल ही के हफ्तों में ब्रिटेन, यूएस, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इजरायल, नीदरलैंड्स जैसे कई देशों में वैक्सीन प्रोग्राम शुरू हो चूका है | इससे लोगो को कोरोना से बचने में मदद तो मिलेगी ही साथ ही जो बेहद संवेदनशील हैं इस बीमारी को लेकर उन्हें आराम मिलेगा |
डॉ.सौम्या ने कहा साल 2021 में दुनिया के सभी लोग इस बीमारी से सुरक्षित नहीं हो पाएंगे|क्योंकि हर्ड इम्युनिटी के लिए पूरी दुनिया के 70 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन करना होगा | तब कही जाकर दुनिया की की पूरी आबादी कोरोना से सुरक्षित हो पाएगी|लेकिन कुछ लोगो को डर है कि कोविड-19 बेहद संक्रामक है | इसके नए रूप दुनिया के सामने आ रहे है | जो और भी ज्यादा संक्रामक हैं | ऐसे में वैक्सीन प्रोग्राम और हर्ड इम्युनिटी जैसे कई चीजों को झटका लग सकता है | डॉ. सौम्या ने कहा कि अभी जितनी भी वैक्सीन लोगों को लग रही है वो अमीर देशों में लग रही है | गरीब और विकासशील देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा चलाए जा रहे प्रोग्राम COVAX के तहत वैक्सीन की कमी आ रही है | क्योंकि दानदाता देश पहले अपने देश के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए तैयारी में जुट गए हैं | इस बीच नई चिंता बनकर सामने आया है ब्रिटेन और अफ्रीका का नया कोरोनावायरस स्ट्रेन |
WHO ने कहा कि हाल ही में जो कोरोना वायरस के मामले बढ़े हैं | वे कोरोना वायरस के म्यूटेशन से नहीं बढ़े हैं | बल्कि लोगो के आपसी मेलजोल से बढ़े हैं | सोशल डिस्टेंसिंग को किनारे कर लोग अब घूमने टहलने लगे हैं | नए वैरिएंट के आने से पहले ही कोरोना की दूसरी लहर दुनिया के कई देशों में तेजी से फैल रही थी | गर्मियों में पूरी दुनिया ने जिन सोशल डिस्टेंसिंग नियमों को माना सर्दी आने के बाद वे भूल गए | क्रिसमस और नए साल के मौके पर तो लोग ये भी भूल गए की कोरोना वायरस जैसी कोई बीमारी भी दुनिया में है | इसकी वजह से कोरोना की दूसरी लहर ने दुनिया के कई देशों को अपनी जद में ले लिया | डॉ. माइकल ने बताया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वैरिएंट कौन सा है | फर्क इससे पड़ता है की किस देश के लोग कोरोना से संबंधित नियमों को कितना मान रहे है |